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Saturday 11 July 2020

Hindi poem by Bharatee Mangaraj from Bhawanipatna,Odisha,India

मैं आपके जैसा   बनना चाहती  हूं...


पता नहीं आप हो कौन
हो कहां से
लेकिन आप के हर अंदाज़ से, हर बातों से,
मैं बहुत कुछ सीखती हूं
आपके वह प्रेरणा देने वाली बातें
सुन के,
मैं आपके जैसा बनना  चाहती हूं
मैं आपके जैसा बनना  चाहती हूं

अपनी कविता से लोगों का दिल
कभी कभार छु लिया करतीहूं
अबशाद में कोई हो तो
 मदत करने की कोशिश करतीरहती हूं
लेकिन आपके जैसे प्रेरित कर नहिं
पातीहूं

मैं आपके जैसा बनना  चाहती हूं
मैं आपके जैसा बोलना चाहती हूं....

जब मैं मायूस, परेशान थी
अंदर ही अंदर टूट गई थी,
वहीं समय आपसे प्रेरित होकर
खुदको संभालने लगी
हिम्मत होशले को बढ़ाई
ओर अभी मैं
आपको  सुक्रिया करने के लिए
मुस्कुराते हुए
दो चार लाइन लिखिहूं,

मैं आपके जैसा बनना  चाहती हूं
मैं आपके जैसा बोलना चाहती हूं.... 

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