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Sunday, 30 June 2019

Hindi poetry Haanshi by Sonali Sharma ,


हँसी


हवा की गति में हँसी है,
पत्ते के टूटने में हँसी है,
बादलों की आहट में हँसी है,
पानी की सिलवटों में हँसी है।

रेत के धूमिल होने में हँसी है,
चप्पे-चप्पे पर किसी के वजूद की हँसी है,
बंद हवेलियों के आंगन में हँसी है,
डालियों से जुड़े झूलों में हँसी है।

बिंदी की गोलाई में हँसी है,
आंखो की नमी में हँसी है,
उलझती पायल में हँसी है ,
इंतज़ार में हँसी है।

हाथों की दरारों में हँसी है,
रोटी की नर्मी में हँसी है,
एक होने में हँसी है,
कल में हँसी है ।

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By Sonali Sharma

Address: 22/34 Raipur Road Dehradun Uttarakhand

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